नई दिल्ली। कूटनीति को दो धुरियों के बीच बेहतर सामंजस्य का खेल कहा जाता है। इजरायल और फलस्तीन के बीच हाल की हिंसक झड़प के बाद भारतीय कूटनीति को यह खेल कुछ ज्यादा ही सतर्कता से खेलना पड़ रहा है। गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में हाल की हिंसा व एक दूसरे पर आक्रमण की घटनाओं की जांच के लिए आयोग गठित करने के प्रस्ताव पर वोटिंग में भारत ने अनुपस्थित रहकर बेशक इजरायल का साथ दिया, लेकिन इस संदर्भ में बुलाई गई बैठक में भारतीय प्रतिनिधि के भाषण का रुख कुछ दूसरा दिखाई देता है। इसमें भारत ने फलस्तीनी इलाकों पर हमले और फलस्तीनी आबादी वाले कुछ इलाकों को जबरन खाली करवाने पर गहरी चिंता भी जताई। इसके पहले भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में इजरायल को वैसी मदद नहीं दी जैसी उम्मीद की जा रही थी।

UNHRC के 24 देशों ने इजरायल-फलस्तीन हिंसा पर आयोग गठित करने के प्रस्ताव का किया समर्थन

यूएनएचआरसी के 47 सदस्य देशों में से 24 देशों ने हाल की हिंसा में मानवाधिकारों के उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के उल्लंघन पर एक आयोग गठित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया। भारत समेत 13 देश बाहर रहे जबकि नौ देशों ने इसका विरोध किया। यहां भारत की अनुपस्थिति इजरायल का समर्थन है। दूसरी तरफ भारतीय प्रतिनिधि ने इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में इजरायल व गाजा के हथियारबंद समूहों के बीच किए गए सीजफायर का समर्थन किया और दोनों पक्षों को संयम बरतने की सलाह दी। भारतीय प्रतिनिधि ने आगे कहा, हम यरुशलम में, खास तौर पर हरम अल शरीफ, टेंपल माउंट व दूसरे फलस्तीनी इलाकों में हुई हिंसा को लेकर बेहद चिंतित हैं।

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