- किसी भी बैंक में समस्या होने पर 8601804414 मोबाइल नम्बर पर सीधे करें शिकायत
वित्त या यूं कहें कि बैंकिंग प्रणाली एक अति महत्वपूर्ण अंग है व्यापार व विकास आदि का, लेकिन जमीनी स्तर पर बैंक व बैंक कर्मियों का रवैया ग्राहक के प्रति ज्यादा बेहतरीन नहीं देखने को मिलता है। आत्मनिर्भर भारत की घोषणा से पहले भी कई योजनाओं का परिचालन केन्द्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा किया जाता रहा है लेकिन अधिकतर देखने को मिला है कि बैंक द्वारा लोन देने में जमकर हीलाहवाली व ना नुकुर करने के साथ ही बिना गारंटी के लोन देने से मना कर देते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में किसान क्रेडिट कार्ड भी बिना दलालों के नहीं बन पानी है तो बिना गारंटी के लोन पाना कितना कठिन होगा ये आप खुद सोंच सकते हैं। इन सबके अलावा बैंकिंग सेवा में भी ग्राहकों को अपने ही मूल शाखा में बैंक कर्मियों से जद्दोजहद करते देखा गया है। बैंकिंग सेवा से जुड़ी तमाम अन्य मुद्दों पर प्रस्तुत है हमारे प्रधान संपादक शीबू खान से जिला अग्रणी प्रबंधक (एलडीएम) अशोक कुमार पाण्डेय से हुई बातचीत के कुछ अंश –
शीबू खान – फतेहपुर में एलडीएम के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी को कैसा महसूस कर रहे हैं?
एलडीएम- जिम्मेदार कभी जिम्मेदारी से नहीं भागते इसलिए पद चाहे जो भी हो शासनादेश व नियमों का पूर्णतया पालन करिए और अपने कार्य के प्रति प्रत्येक कर्मचारी को ईमानदार रहना चाहिए। रही बात एलडीएम पद की तो फतेहपुर जनपद में बीते 3 अगस्त से कार्य कर रहा हूं और संज्ञान में आई प्रत्येक शिकायत पर शिकायतकर्ता व बैंक के साथ बैठक कर समाधान कराने का प्रयास करता रहता हूं। चूंकि मेरा पद ग्राहक और बैंक के मध्य सेतु बनने का है जिसे मैं निर्वहन कर रहा हूं।
शीबू खान – फतेहपुर में नियुक्ति से पहले किस जगह और किस पद पर रहे हैं?
एलडीएम- यहां से पहले बांदा जनपद में बैंक ऑफ बड़ौदा का मुख्य प्रबंधक था, चूंकि बांदा में लीड बैंक इंडियन बैंक है और फतेहपुर में बैंक ऑफ बड़ौदा लीड बैंक है। वहीं उससे पहले सीतापुर जनपद में बतौर वरिष्ठ प्रबंधक नियुक्त था।
शीबू खान – सन 2000 से आज तक यानी 22 साल की बैंकिंग सेवा में बैंक व ग्राहक को कितना जानें हैं?
एलडीएम- मैंने नौकरी के पहले दिन से ही ग्राहक को सर्वोपरि माना है। मैंने जाना है कि बैंक कर्मी के किसी ग्राहक को ध्यान से न सुनने और अधूरी जानकारी से समस्या बढ़ती है और ग्राहक भी परेशान होता है ऐसे में बैंक में बैठे जिम्मेदारों को चाहिए कि ग्राहक के साथ अच्छे से पेश आएं और उनको पूरी तरह से संतुष्ट करें और रही मेरी बात तो मैं ग्राहक के आंखों में आंख डालकर बात करके उनको संतुष्ट करता हूं जिसका नतीजा ये रहा कि ग्राहकों को हमेशा संतुष्ट करता आया हूं।
शीबू खान – एलडीएम के तौर पर सरकारी योजनाओं में बैंकों द्वारा लोन न स्वीकृत किया जाना, कैसे हल करेंगे?
एलडीएम- सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी स्कीम्स में से मुख्य रूप से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), प्रधानमंत्री स्वनिधि, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) और मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना (एमयाईएसयाई) के साथ ही प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) व मुद्रा लोन ही हैं इसके अलावा भी कई और प्रकार से लोन लिए जाते हैं। अधिकांश बैंकों में ओवरलोड देखा गया है जिसके चलते बैंक कर्मियों का रवैया सही नहीं होता है जिससे समस्याएं बढ़ती दिखाई पड़ती हैं। बहुत जगह ओवर लोडेड होने के चलते बैंक कर्मी को ग्राहक से बात करने का समय नहीं है क्योंकि इतने टारगेट हैं कि कभी – कभी लेट नाइट तक काम करना भी पड़ता है और छुट्टी में भी आकर काम करना होता है जिससे ग्राहकों को अटेंड नहीं किया जा रहा है, समस्या वहीं आ रही है जहां ग्राहकों को अटेंड नहीं किया जा रहा है और जो बैंक या शाखा ग्राहकों को अटेंड करती है वहां समस्या नहीं आ रही है। उदाहरण के तौर पर बताया कि अभी हाल ही में एक बैंक द्वारा ग्राहक से कहा गया कि आपकी लोन फाइल ऊपर से रिजेक्ट कर दी गई जिस पर वो मेरे पास शिकायत लेकर आया तो मैंने बैंक से पूंछा तो उन्होंने बताया कि ऊपर से कागज की कमी के चलते रिजेक्ट की गई तो मैंने पूंछा कि इसमें कमी किसकी थी या तो आपने ग्राहक के पेपर नहीं भेजे होंगे या ग्राहक ने आपको वो कागज दिए नहीं होंगे लेकिन ग्राहक ने संबंधित कागज न दिए होते तो आपको आवेदन तभी वापस कर देना चाहिए था। तो ऐसे कई उदाहरण हैं जिससे साफ झलकता है कि बैंक कर्मी की लापरवाही के नतीजे से ग्राहक को कष्ट झेलना पड़ता है और समय बर्बाद होता है फिर वही शिकायत का सबब बन जाता है। ऐसे में बैंक या बैंक कर्मी को चाहिए कि पहले वो हर पहलू से खुद जांच करे जो उसके हांथ में होता है।
शीबू खान – ग्रामीण अंचलों में देखा गया है कि बैंक कर्मियों को लोग हेय दृष्टि से देखते हैं ऐसे में लोगों का भरोसा कैसे वापस लाएंगे?
एलडीएम- जी, ये बात आपने बिलकुल सही कही उसकी वही सब है जो मैंने पहले बताई है ऐसे में ये एक चुनौती भरा कार्य होगा कि हमारे ही बैंक के ग्राहक के साथ मधुर संबंध बनाने होंगे जिसके लिए बैंक कर्मी को समय निकालकर ग्राहकों के साथ विनम्रता से पेश आते हुए उसकी समस्या सुननी होगी और अपने स्तर से समाधान भी करना होगा। उदाहरण के तौर पर बताया कि मैं ऐसी ब्रांच में भी रहा जहां शाखा प्रबंधक मार भी खा चुके थें लेकिन मैंने यही फंडा अपनाकर लोगों को सुना और संतुष्ट किया जिसका नतीजा ये रहा कि जो लोग पूर्व में अभद्रता करते थें वही लोग कभी-कभी देर रात्रि में काम करने के दौरान अपने घर से गर्म करके दूध आदि लाया करते थें जिसे मैं मना कर दिया करता था। तो कहने का मतलब है कि आपको इंसानियत दिखानी होगी। अब यही प्रयास रहेगा कि लोगों का विश्वास अपनी बैंक पर बन सके और ये तभी संभव है जब लोग समाधान पाएंगे और उनको बेवजह गुमराह न किया जाए।
शीबू खान – जनपद बहुत पिछड़ा है और रोजगार न होना बड़ा विषय है, रोजगार के लिए प्रक्रिया आसान कराने में क्या भूमिका होगी आपकी?
एलडीएम- प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की बात करें तो जब मैंने जिला में ज्वाइन किया था तब फतेहपुर प्रदेश में 74वें स्थान पर था लेकिन कड़ी मेहनत के बाद पिछले हफ्ते हमारी स्थिति में काफी सुधार आया है जो 69वें स्थान पर पहुंच गए हैं अर्थात 5 पायदान ऊपर आए हैं। रही बात अन्य मामलों में तो सच्चाई ये भी है बहुत सारी योजनाओं का ज्ञान हमारे बैंक कर्मचारियों को नहीं है। मैंने सबको बताया कि सरकार की सब्सिडी मौजूद है अच्छे ग्राहक को बुलाकर आप लोन दीजिए और जहां दिक्कत हो तो मुझे बताओ मैं बताऊंगा कि किस स्कीम में किया जाएगा और उसको हायर अथॉरिटी से बात करके अप्रूव कराऊंगा। इससे अच्छे ग्राहक को लोन मिल पाएगा, सरकार की सब्सिडी का भी इस्तेमाल होगा और बैंक की परफॉर्मेंस भी अच्छी बनेगी।
शीबू खान – मुद्रा लोन की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं हैं, बैंक सहयोग नहीं देता, क्या कहेंगे?
एलडीएम- मुद्रा की नियम शर्तों के आधार पर ग्राहक को अप्लाई करना चाहिए जिसमें सबसे मूल बात ये है कि बैंक में कम से कम 6 माह पुराना संतोषजनक लेन देन होना चाहिए जिसमें ये भी न हो कि आज जमा करें और कल निकासी कर लें इसके अलावा 3 कैटगरी में अप्लाई होता है और दूसरे स्थिति में कोई वैलिड रीजन भी नहीं होता है जो पता नहीं चल पाता है जैसे सिबिल स्कोर खराब होना क्योंकि नियम है कि सिबिल स्कोर 700 के ऊपर होना चाहिए ही यदि इससे नीचे है तो लोन हो ही नहीं सकता है।
शीबू खान – बैंकों में दलालों का हावी रहना आम बात है, कैसे लगाएंगे नियंत्रण?
एलडीएम- ये निर्भर करता है जिम्मेदार कुर्सी पर बैठने वाले के क्यूंकि जिस मानसिकता का वो होगा वैसी ही कार्यशैली होगी। वैसे जहां-जहां मुझे ऐसी शिकायत मिलती हैं तो सीधे मैं ग्राहक से मिलते हुए यही लोगों को समझाता हूं कि आप कतई किसी को रिश्वत न दें और डायरेक्ट बैंक से मिलें और अगर बैंक की ओर और कोई ऐसी बात होती है तो सीधे मुझे मेरे सरकारी नम्बर 8601804414 पर कॉल करके बताएं, और अच्छा होगा जो आप लोग मुझे ऐसी करतूत का साक्ष्य जैसे ऑडियो या वीडियो मुहैया कराएं जिससे मैं कार्यवाही कर सकूं। उन्होंने लोगों से अपील किया कि जल्दबाजी के चक्कर में या किसी और मजबूरी के चलते दलालों के चक्कर में कतई न पड़ें। आप सीधे बैंक मैनेजर से मिलकर अपना काम कराएं। इस मामले में सभी बैंकों को निर्देशित कराया गया है कि शाखा परिसर को दलाल मुक्त वातावरण में रखें एवं कार्य के प्रति समर्पित रहें साथ ही सख्त हिदायत दिया है कि जिस वक्त तक मैं इस कुर्सी पर हूं तब तक गलत करने की कोई सोंचे भी नहीं और सही का काम नहीं रुकना चाहिए और गलत काम होने नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा लोगों से अपील करते हुए कहा कि उदाहरण के तौर पर कोई किसान केसीसी बनवाने जाता है तो कोई पैसा नगद न दें क्योंकि जो भी चार्ज लिए जाते हैं सब खाते से ही चार्ज किए जाते हैं जिसकी इंट्री भी होती है साथ ही कहा की ये सब काम 15 कार्य दिवस में होते हैं ऐसे में कोई कहे कि बहुत समय लगता है और पैसा दे दीजिए तो 15 दिन में करा देंगे तो उसके झांसे में न आएं और कोई भी पैसा न दें। अंत में कहा कि यदि जनता जागरूक हो जाए तो न कोई दलाल हावी हो सकता है और न ही रिश्वतखोर कर्मचारी। इस मामले में सभी बैंक के हायर अथॉरिटी से बात होती रहती है।
शीबू खान – शासन – प्रशासन के जोर देने के बाद भी बैंकों द्वारा फाइलों को रिजेक्ट करना कहां तक उचित है?
एलडीएम- कभी – कभी कोई चीज अनायास नहीं होती है और हर बार बैंक ही गलत नहीं होता है। अगर बात करें सरकारी योजनाओं पर लोन की तो ऐसा होता है कि ऊपर से दबाव आता है कि बैंकों को मान लो 836 फाइल भेजी जानी हैं और विभाग पिछले साल की फाइलों को भी अपलोड करके भेज देता है, अब बताइए कि जिस फाइल को बीते महीनों ही बैंक ने रिजेक्ट किया हो और वर्तमान में भी उस पर कोई बदलाव न हुआ हो या कमी का सुधार न हुआ हो तो आखिरकार बैंक कैसे पास कर सकती है।
शीबू खान – बैंकिंग सेवा में रहते हुए कोई अविस्मरणीय पल को साझा करें?
एलडीएम- बात उस समय की है जब मेरी पोस्टिंग गुजरात के बनासकांठा जिले की शाखा में थी जहां से पाकिस्तान मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर था। वहां एक ग्राहक था जो बड़े घराने का था लेकिन हमेशा उखड़ा मिजाज में रहता था। उस गांव के लोगों का कहना था कि ये आदमी बड़ा बेकार है और लोग कहते थें कि इसके घर कोई जाता नहीं है और ये किसी को एक गिलास पानी नहीं देता है चाय तो दूर की बात है। खैर, वो जब ब्रांच आते थें तो हमेशा शिकायती लहजे में आते थें और कहा करते थें कि तुम्हारे यहां ये कमी है जिसकी शिकायत पत्र के द्वारा मैं प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आदि को लिख रहा हूं। एक दिन मैंने उन्हें बैठाकर चाय-पानी पूंछते हुए उनसे समस्या पूंछी और उनका काम कर दिया और कहा बाबू जी आप स्वतंत्र हैं आपको जो करना है वो आपके अधिकार क्षेत्र में है। ऐसे ही समय बीतता रहा एक दिन मेरा ट्रांसफर ऑर्डर आ गया फिर भी रिमोट ब्रांच होने के नाते कोई जाने को तैयार न हुआ तो मैं डेढ़ माह तक रुका रहा। इस दौरान वो शख्स मेरे ट्रांसफर को सुनकर बड़ा नाराज हुआ और अपने घर पर आने को कह गए लेकिन फिर भी मैं नहीं गया तो आकर बोले कि यदि आप मेरे घर नहीं आए तो मैं मरने के बाद भूत बनकर आपके पीछे लगूंगा, ब्रांच में सभी लोग कहते रहें कि इसने कभी किसी को घर नहीं बुलाया न तो किसी को पानी दिया ऐसे में आप मत जाएं उसके घर, आखिरकार एक दिन हेड ऑफिस से कॉल आई की आज ही आपको जाना होगा जिसके बाद मैंने अपना सारा काम निपटाया और आने से पहले अपने गार्ड को बुलाया जो उसी गांव का ही था। उस दिन हल्की – हल्की बारिश हो रही थी और उसके साथ बाइक से मैं उस व्यक्ति के घर गया, जब वहां पहुंचा तो उसने ढेर सारे लेटर दिखाते हुए बोला कि साहब मैं सिर्फ लेटर लिखता था पर कहीं भेजा नहीं था और उसके बाद मेरा स्वागत सत्कार करते हुए चाय नाश्ता रखा और अंत में मुझे अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया और साथ में फोटो खिंचाया। वहां से आकर मैं उत्तर प्रदेश आ गया और वहां से आने के चौथे दिन वहां से खबर मिली कि उनकी आज मृत्यु हो गई है। जीवन में खैर बहुत सारी घटनाएं हुई हैं पर ये घटना हमेशा ही मेरे लिए यादगार है।
शीबू खान – जनता के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
एलडीएम- लोगों से यही अपील है कि न गलत करें, न होने दें और किसी को आपके नाम पर करने भी न दें। अक्सर देखा जाता है कि जरूरत पर जल्दबाजी में लोग खुद ही सौदा तय करने लगते हैं और बोलते हैं कि तीन लाख का लोन दे दीजिए चाहे तो 50 हजार ले लीजिए तो ऐसा करने से बचना होगा क्योंकि लोन आपका है और चुकाना भी आपको ही है ब्याज के साथ वो भी पूरे तीन लाख का, तो भ्रष्टाचार में किसी का साथ न दें बल्कि लड़ाई लड़िए।
शीबू खान – बैंकर्स को क्या संदेश देंगे?
एलडीएम- बैंक कर्मी ईमानदारी से काम करें और ग्राहक से बात करके उसको संतुष्ट करें। बैंक को दलाल मुक्त वातावरण में तब्दील करें। आपस में म्यूचुअल कोआपरेशन होना चाहिए। सुख – दुःख बांटना चहिए और आपस में बातचीत करनी चाहिए। ग्राहक को तसल्ली से सुनना चहिए क्योंकि जब वो कुछ गलत महसूस करता है तो उसमें गुबार भरा होता है और तसल्ली से जब सुना जाता है तो उसका आधा दुःख यूं ही खत्म हो जाता है। और ग्राहक को पूरी जानकारी देनी चाहिए न कि अधूरी और किसी काम को एक बार में समाप्त करना चाहिए न कि उसे अधूरा रखकर बड़ा बनाया जाए। बैंकों को जनता से जुड़ना चाहिए इसके अलावा चौपाल आदि लगाकर समूह वालों से या अन्य से पैसों का इस्तेमाल कैसे करना है इस पर भी चर्चा करना चाहिए ताकि वो कैसे व्यापार कर पैसों से पैसा बढ़ाएं और बैंक का व्यापार बढ़ाएं तथा लोगों को रोजगार के प्रति प्रोत्साहित करें।
जानें एलडीएम फतेहपुर को
नाम – अशोक कुमार पाण्डेय
पद नाम – जिला अग्रणी प्रबंधक
जन्मतिथि – 31 मई, 1976
ग्रह जनपद – लखनऊ
शिक्षा – एम. एससी. (गणित)
प्राथमिक शिक्षा – कानपुर
मिडिल शिक्षा – मेरठ
कॉलेज शिक्षा – कानपुर
पहली नियुक्ति – 14 फरवरी, 2000
सेवा क्षेत्र – गुजरात, मेरठ, बाराबंकी, रायबरेली, सीतापुर, बांदा आदि