- न्यायप्रिय एसडीएम, तहसीलदार व नायब तहसीलदार की लोकप्रियता से आमजन में जगी न्याय की आस
फतेहपुर जनपद की खागा तहसील हमेशा ही सुर्खियों में रही है फिर चाहे वो राजनीतिक रसूख में रही हो या फिर आपराधिक मामलों में गिनती रही हो। फिलहाल ये वो तहसील है जहाँ अवैध खनन की चर्चा आम रहती है क्योंकि अवैध खनन माफियाओं का सिंडिकेट भरपूर तरीके से यहां हावी रहा है, क्योंकि कुछ ही महीनों पहले यहाँ की एक चर्चा ने सुर्खियां बटोरी थीं जिसमें देखा गया था कि एक मौरंग घाट पर एक ठेकेदार का गुर्गा किस तरह से तत्कालीन उपजिलाधिकारी पर हावी होता हुआ अभद्रता व गाली गलौज करता हुआ वायरल वीडियो में दिखाई दिया था जिससे क्षेत्र के लोगों में तहसील स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों पर भरोसा खत्म सा होता नजर आने लगा था हांलाकि उसके बाद आये उपजिलाधिकारियों में न तो वो ज़ज़्बा दिखा और न ही जनता के प्रति न्याय देने व दिलाने का जुनून ही दिखा व कुछ जानकारों की मानें तो शासन – सत्ता का दबाव भी कुछ अधिकारियों को काम न करने देने का सबब बना बहरहाल उपजिलाधिकारी आते गए और जाते गए लेकिन स्वतंत्र होकर निर्णायक भूमिका निभाने वाले जिम्मेदार नहीं बैठ सकें। वैसे इसी दौरान प्रदेश में विधानसभा चुनाव का भी लोड था अधिकारियों पर और जनता में जमीनी विवाद का मुश्किल तरीके से निस्तारण करना भी किसी चुनौती से कम नहीं था। हांलाकि चुनाव भी सरलता व सुगमता से सम्पन्न हुआ वहीं खनन माफियाओं का आतंक भी चुनौतीपूर्ण बदस्तूर जारी रहा ऐसे में जनता को तहसील व तहसील के जिम्मेदार अधिकारियों से न्याय तो ज्यादा नहीं मिला पर तहसील को एक थप्पड़बाज अधिकारी के रूप में एक उपजिलाधिकारी जरूर मिल गया जिससे तहसील दिवस में न्याय मांगने पर एसडीएम साहब द्वारा फरियादी को थप्पड़ मिला जैसा काण्ड एक विख्यात मुद्दा मिल गया जिससे इस तहसील की जमकर किरकिरी हुई।
वैसे खागा का अपना अलग ही जलवा आज़ादी के पहले से ही था लेकिन आज़ादी के अमृत महोत्सव जैसे वर्ष में तहसील की किरकिरी ने खागा के साख को कहीं न कहीं कलंकित किया था जिसके बाद से फरियादियों को न्याय के लिए एसडीएम कार्यालय में आने पर कई बार सोंचने आदि पर मजबूर करता रहा।
वर्तमान में… तीन युवा अधिकारियों ने संभाल रखा प्रशानिक कमान, तीनों हैं न्यायप्रिय
ऊपर दिए गए हवाले से तो ये स्पष्ट रहा कि आखिरकार कैसे चलता रहा तहसील प्रशासन, इस सबके बाद फतेहपुर जनपद की तत्कालीन जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे ने क्रमवार नवयुवक व तेजतर्रार अधिकारियों को तहसील की साख वापस लाने व जनता में प्रशासन का खो चुका विश्वास को पुनः जीवित करने के लिहाज़ से हमउम्र के व लगभग एक सोंच के अधिकारियों की जिम्मेदार पद पर नियुक्ति की। वर्तमान में उपजिलाधिकारी के रूप में मनीष कुमार, तहसीलदार के रूप में ईवेन्द्र कुमार व नायब तहसीलदार के रूप में सिद्धांत कुमार की राजस्व प्रशासन में नियुक्ति है और ये तीनों ही अधिकारी लगभग – लगभग एक ही उम्र व विचारधारा के हैं। चार्ज संभालने के बाद फरियादियों के प्रति दायित्वों के दायरे में न्यायप्रिय होने का चलन आम होता जा रहा है व फरियादियों में व्यक्तिगत तौर पर आसानी से मुलाकात करना व काम के प्रति गंभीरता की चर्चा भी दिन का दिन उक्त तीनों अधिकारियों की वाहवाही बटोरती दिख रही है। हांलाकि ये भी सही है कि जहां पीड़ितों को न्याय मिल रहा है तो माफियाओं में दहशत भी फैलनी शुरू हो रही है। जहां एक तरफ बालू भण्डारण के माफियाओं पर उक्त अधिकारियों की पैनी नज़र बनी है तो क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में औचक निरीक्षण भी रुटीन पर चल रहा इस सबके अलावा न्यायालय प्रक्रिया को बखूबी अंजाम देना भी इनको खूब आता है। पूर्व के दिनों में आमजनमानस को जमीनों की पैमाइश, वरासत आदि के लिए हल्का लेखपालों की चिरौरी व मिन्नतें करनी पड़ती थीं साथ ही अवैध चढ़ावा आदि के चक्र से भी गुजरना पड़ता था लेकिन अब पहले जैसा माहौल नहीं रहा इतना ही नहीं कुछ राजस्व कर्मियों का नशे के हाल के में ड्यूटी पर आना भी आम था पर अब काफी कुछ बदलता सा नजर आ रहा है।
हांलाकि अभी चुनौती भरा कार्य इन जिम्मेदारों के सामने नहीं आया बस हाल ही में बख़रीद का पर्व शान्ति से निपटाया है व काँवड़ व्यवस्था भी बखूबी अंदाज देखा है, इसके बाद मुहर्रम का पर्व शांतिपूर्वक तरीके से निपटाना एक बड़ी चुनौती साबित हुई एवं रूटीन प्रक्रिया में अवैध अतिक्रमण आदि को हटाना भी कहीं न कहीं एक चुनौती भरा टास्क होगा। इस सबके बीच यमुना का बढ़ता जलस्तर व उससे होने वाली दुश्वारियों को भी इन्होंने बखूबी झेला है।
जब इस संबंध में कार्यशैली पर तीनों अधिकारियों से अलग – अलग पूंछा गया तो सभी का जवाब लगभग एक जैसा ही पाया गया वो था कि प्राथमिकता के आधार पर शासन की मंशा व निर्देशों का अक्षरसः पालन करते व कराते हुए नियम के दायरे में हर व्यक्ति को न्याय दिलाना ही उद्देश्य है।
हांलाकि इतना बदलाव होने पर भी अभी भी राजस्व कर्मियों का पुराना अशुद्ध वातावरण व लेन – देन की प्रक्रिया में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है, आज भी आम जनमानस को मूलभूत सुविधाओं जैसे वरासत, नक्शा दुरुस्ती की रिपोर्ट, हदबंदी आदि की पैमाइश व अन्य के लिए लेखपाल व क़ानूनगो आदि को सुविधा शुल्क की भेंट चढ़ाना ही पड़ता है। इस सबके साथ ही भूमाफियों को कहीं न कहीं इन्हीं राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से बल मिलना भी बड़ा मुद्दा है।
आमजन की बात करें तो लोगों का कहना है कि प्रत्येक गांव स्तर पर लेखपालों की खाऊ – कमाऊ नीति के चलते विवाद भी अत्यधिक मात्रा में बढ़ता जा रहा है जिसको भी ससमय सुधार न किया गया तो गांव व कस्बों में अपराध और ज्यादा पनपेगा।
ऐसे तमाम जमीनी स्तर के मुद्दे व सवाल कहीं न कहीं इन जिम्मेदार अधिकारियों के लिए चुनौती साबित होंगे, देखना ये होगा कि इन सवालों या मुद्दों से कैसे निपटेंगे ये अधिकारी? क्या जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे ये तहसील के जिम्मेदार? क्या आम जनमानस को सुगमता से मिलेगा न्याय? क्या जिम्मेदार अपनी सक्रियता को यूँही रखेंगे जारी या फिर हो जाएंगे निष्क्रिय?
ऐसे कई सवाल हैं उन गरीब, असहाय व निर्बलों के जिनका सहारा या तो अल्लाह/भगवान है या फिर बैठे जिम्मेदार अफसरान। अब देखना होगा कि इन बेसहारों को न्यायप्रिय अधिकारियों की चौखट पर इंसाफ मिलेगा या नहीं।
जानें उपजिलाधिकारी – खागा को
उपजिलाधिकारी – खागा का परिचय
नाम – मनीष कुमार
पदनाम – डिप्टी कलेक्टर
परीक्षा – PCS (2021)
जन्मतिथि – 23 मार्च, 1995
ग्रह जनपद – हमीरपुर
प्रथम नियुक्ति – डिप्टी कलेक्टर, फतेहपुर
जानें तहसीलदार खागा को
तहसीलदार – खागा का परिचय
नाम – ईवेन्द्र कुमार
पदनाम – तहसीलदार
परीक्षा – PCS (2016)
जन्मतिथि – 6 दिसम्बर, 1987
ग्रह जनपद – प्रयागराज
खागा में नियुक्ति – तहसीलदार (20 अप्रैल, 2022)
जानें नायब तहसीलदार – खागा को
नायब तहसीलदार – खागा का परिचय
नाम – सिद्धांत कुमार
पदनाम – नायब तहसीलदार
परीक्षा – PCS (2017)
जन्मतिथि – 8 दिसम्बर, 1993
ग्रह जनपद – प्रयागराज
खागा में नियुक्ति – नायब तहसीलदार (28 दिसंबर, 2021)