• फतेहपुर: जेल अधीक्षक के सराहनीय प्रयास से जेल में सजा है शिक्षा का मन्दिर
  • जेल अधीक्षक की शिक्षा व जागरूकता की रुचि ने बदला माहौल
  • उम्र की बंदिशों ने भी बंदी छात्रों के शिक्षा पर नहीं डाल सकी रोड़ा
  • शिक्षा व ज्ञान की शौक ने हर बंदी को स्वच्छ जीवन जीने का पढ़ाया पाठ

विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर आज फतेहपुर जिला जेल में चल रहे शिक्षा के मंदिर को विशेष संपादकीय में शामिल किया गया है क्यूंकि शिक्षा की अलख आपको हर जगह देखने को जरूर मिलती है लेकिन कारागार (जेल) में चलने वाले शिक्षा के मंदिरों को विशेष अवसर पर बेहद कम ही कवरेज मिलते हैं, इसी कड़ी में VTV INDIA के संस्थापक/प्रधान संपादक पत्रकार शीबू खान द्वारा जेल अधीक्षक के सहयोग पर एवं डिप्टी जेलरजेल अध्यापक की सहायता से जेल में संचालित शिक्षा की विभिन्न शाखाओं व प्रशिक्षण की व्यवस्थाओं पर प्रत्येक दृष्टिकोण से शिक्षा पर आधारित Inside Story तैयार की गई है।

सामान्य जीवन में जेल का नाम सुनते ही हर व्यक्ति के जहन में सबसे पहले दुर्दांत अपराधियों की तस्वीर सामने आ जाती है। लेकिन फ़तेहपुर जिला के कारागार में  कैदियो का भविष्य संवारा जा रहा है। इसमें जेल अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान की निजी की शिक्षा एवं जागरूकता की रुचि सबसे महती भूमिका निभाती नजर आ रही है।
साक्षरता मिशन के तहत जिला जेल में बंद विचाराधीन निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने की शुरुआत की गई है। इसके लिए 15 बंदी शिक्षक भी नियुक्त किये गए हैं। सभी बंदी शिक्षकों को मानक के अनुरूप प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय भी दिया जा रहा है।

बतौर जेल अधीक्षक बैरक के बरामदे को क्लास रूम बनाया गया है। यहीं पर ब्लैक बोर्ड लगाकर निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने के लिए प्रतिदिन क्लास लगाई जाती है। जेल अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान के मुताबिक निरक्षर कैदियों की पढ़ाई-लिखाई में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की आपूर्ति के लिए फतेहपुर शहर की सामाजिक संस्था ‘ट्रुथ मिशन स्कूल’ एवं जेल कर्मियों व अन्य समाजसेवी संगठनों से भी सहयोग लिया जा रहा है।
जेल अधीक्षक ने बताया कि बीते वर्ष से जेल में शिक्षा की पाठशाला चल रही है। इतने कम समय में निरक्षर बंदी आसानी से अखबार, हनुमान चालीसा, गीता, रामायण और कुरान का पाठ भी कर लेते है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अभाव में व्यक्ति अपराध करता है, हमारी कोशिश होगी कि साक्षर होकर जेल से रिहा होने वाला कैदी समाज की मुख्य धारा से जुड़ेेगा और उनके विचारों में परिवर्तन भी आएगा। साथ ही विभिन्न संस्थानों के सहयोग से जेल के अंदर ही स्वरोजगार का प्रशिक्षण आदि भी कराया जाता है इतना ही नहीं आध्यात्म एवं योग का भी पाठ पढ़ाया जाता है। इससे वह अपने जीवन यापन के लिए कोई भी रोजगार कर सकता है। 

बंदी महिलाओं के बच्चों का नामी विद्यालय में जारी है शिक्षा

जेल अधीक्षक के शिक्षा की अलख अभियान से महिला बंदियों के साथ रह रहे 6 वर्ष तक के बच्चों की अच्छी शिक्षा का जिम्मा भी जेल अधीक्षक ने उठा रखा है, अवगत कराना है कि ये बच्चे शहर के नामी स्कूल “द ट्रूथ मिशन स्कूल” के सहयोग से ही इसी स्कूल में अध्यनरत हैं। जहां आम लोगों के बच्चों को ऐसे स्कूल में डोनेशन आदि देने के बाद भी प्रवेश संभव नहीं होता वहीं इन बच्चों का ऐसे स्कूल में पढ़ना काबिले तारीफ है। वहीं स्कूल से लौटकर आने के बाद इन छोटे बच्चों में पुलिस फोर्स की भांति जय हिंद की सलामी करना कहीं न कहीं अनुशासन का दिखना भी बड़ा अच्छा लगता है। छोटी बच्ची रौनक ने अपने शिक्षा बोध से अचंभित करते हुए स्कूल की शिक्षा को सबके सामने जमकर प्रदर्शित किया।

जेल में बनी आंगनबाड़ी व चिल्ड्रेन पार्क भी है बच्चों का आकर्षण

जहां पुरुष बंदियों के लिए खुले वाता वातावरण में वयस्क पाठशाला और महिलाओं के लिए पाठशाला का इन्तेजाम है तो महिला बंदियों के छोटे – छोटे बच्चों के लिए आंगनबाड़ी और चिल्ड्रेन पार्क का भी बढ़िया इन्तेजाम किया गया है। बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए आंगनबाड़ी सहायिका की मेहनत खूब रंग सा लाती दिख रही है वहीं जेल अधीक्षक की प्रेरणा व निगरानी भी शिक्षा के स्तर को और प्रभावी बनाता दिखाई पड़ रहा है। क्लासरूम से पढ़ाई करने के बाद समय पर पार्क में खेलना भी इन छोटे बच्चों को खूब भाता है। आंगनबाड़ी में उपस्थित बच्चों में से गगन, रौनक, चाहत और काजल ने अ, आ, क, ख, ग, 1, 2, 3, शरीर के नाम, फल के नाम आदि के साथ विभिन्न पाठ भी सुनाया।

लिखना-पढ़ना सीख रहे हैं बंदी

चल रही कक्षाओं में हिंदी सुलेख, हिंदी – अंग्रेजी किताबों का पढ़ना, पहाड़ा का याद करना, ककहरा, वर्णमाला, मात्रा आदि के ज्ञान के साथ श्यामपट पर जवान व बुजुर्गों का नाम लिखना खूब भाता है। पुरुष बंदियों में से अखिलेश, अजय, राजा, मुकेश, जसवंत, जावेद, नीलू, राजू, संदीप, सत्तार, करनजीत, पंकज, पप्पू, कल्लू के साथ ही वयोवृद्ध शहीद व अशोक कुमार ने बड़ी ही फुर्तीले अंदाज़ में अपना नाम लिखकर बताया और कहा कि हम लोगों को कुछ भी नहीं आता था क्यूंकि हम पूरी तरह से निरक्षर थें और जेल में ही चलाई जा रही पाठशाला से लिखना – पढ़ना सीखा है वहीं वयोवृद्ध शहीद ने बताया कि इस उम्र में घर पर रहकर लिखना व पढ़ना का सीखना नामुमकिन था लेकिन यहां के वातावरण में हम लोग इतना सीख चुके हैं।
वहीं महिला बैरिक में भी शिक्षा का यही दस्तूर जारी है, वहाँ पर कमला देवी, उमा देवी, कंचनिया सहित दर्जनों महिलाओं ने बोर्ड पर अपना नाम लिखकर दिखाया।
इन सभी बंदियों ने इस सबका श्रेय जेल अधीक्षक के साथ ही अन्य सभी अधिकारियों को दिया विशेषकर अपने अध्यापकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

शिक्षा पाठशाला पर क्या बोले जेल अधीक्षक?

जेल में चल रही पाठशाला पर जेल अधीक्षक ने बताया कि इन पाठशालाओं में प्राथमिक एवं अनिवार्य शिक्षा के अलावा राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ-साथ बंदियों को व्यवहारिक ज्ञान भी सिखाया जा रहा, ताकि जेल से छूटने के बाद यह बंदी अपने सामान्य जीवन में इस ज्ञान का प्रयोग कर सकें। इतना ही नहीं प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से जेल से छूटने के बाद वित्तीय सहयोग पाकर स्वरोजगार स्थापित करते हुए आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं का मुख्य उद्देश्य

पुलिस एवं न्यायपालिका की भाँति कारागार–व्यवस्था आपराधिक न्याय प्रणाली का उपयोगी एवं महत्वपूर्ण अंग है। शान्ति व्यवस्था एवं कानून के शासन की स्थापना में योगदान करके समाज में सन्तुलन स्थापित करने में कारागारों की महत्वपूर्ण एवं उपयोगी भूमिका है। सभ्यता के विकास एवं सामाजिक परिवर्तन के फलस्वरूप कारागारों का भौतिक एवं कार्यात्मक स्वरूप, अपेक्षायें एवं उद्देश्य निरन्तर प्रगतिशील रहा है।
कारागार व्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य बंदियों की सुरक्षित निरूद्धि सुनिश्चित करते हुए उन्हें नैतिक शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण देते हुये उनमें अपराध बोध व अपराध की मानसिकता को न्यूनतम स्तर पर लाते हुये उनके पुनर्वासन में सहयोग देना है, ताकि वह निर्धारित सजा काटकर समाज की मुख्य धारा में सम्मिलित हो सकें व अपराध की ओर पुन: प्रवृत्त न हों। अत: कारागारों में जहां एक ओर बंदियों की सुरक्षित निरूद्धि हेतु सुरक्षा व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण व संचार साधनों का विकास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बंदियों के सुधार एवं पुनर्वास के लिए अनेक बहुआयामी व प्रगतिशील कार्यक्रमों का निरन्तर संचालन भी किया जा रहा है।
शासन की वर्तमान कल्याणकारी नीति के अन्तर्गत बंदियों के लिए समुचित स्वास्थ्य परीक्षण व उपचार, स्वच्छता, शुद्ध पेयजलापूर्ति, व्यावहारिक कार्य प्रशिक्षण, शिक्षा, महिला बन्दियों हेतु विशेष व्यवस्था तथा उनके छ: वर्ष से कम के बच्चों की देख–रेख एवं रहन–सहन के स्तर में अपेक्षित सुधार की दिशा में अनेक सक्रिय प्रयास किये जा रहे हैं।

जेल सेवा के साथ शिक्षा के फिक्रमंद हैं जेल अधीक्षक

साक्षरता के प्रति गंभीर रहने वाले जेल अधीक्षक ने बताया कि एक अध्ययन के मुताबिक इस दौर में भी लगभग 77.5 करोड़ युवा साक्षरता की कमी से प्रभावित हैं अर्थात पाँच में से एक युवा अभी तक साक्षर नहीं है और इनमें से दो तिहायी महिलायें हैं। 6.7 करोड़ बच्चे विद्यालयों तक नहीं पहुँचते और बहुत बच्चों में नियमितता का अभाव है अथवा बीच में छोड़ देते हैं। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि साक्षरता का अर्थ है साक्षर होना अर्थात पढने और लिखने की क्षमता से संपन्न होना। अलग अलग देशों में साक्षरता के अलग अलग मानक हैं। भारत में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपना नाम लिखने और पढने की योग्यता हासिल कर लेता है तो उसे साक्षर माना जाता है।

क्या कहते हैं साक्षरता के आँकड़े?

आज़ादी के समय भारत की साक्षरता दर मात्र बारह (12%) प्रतिशत थी जो बढ़ कर लगभग चौहत्तर (74%) प्रतिशत हो गयी है। परन्तु अब भी भारत संसार के सामान्य दर (पिच्यासी प्रतिशत 85%) से बहुत पीछे है। भारत में संसार की सबसे अधिक अनपढ़ जनसंख्या निवास करती है। वर्तमान स्थिति कुछ इस प्रकार है:

• पुरुष साक्षरता: बयासी प्रतिशत (82%)

• स्त्री साक्षरता: पैंसठ प्रतिशत (65%)

• सर्वाधिक साक्षरता दर (राज्य): केरल (चौरान्वे प्रतिशत 94%)

• न्यूनतम साक्षरता दर (राज्य): बिहार (चौसठ प्रतिशत 64%)

• सर्वाधिक साक्षरता दर (केन्द्र प्रशासित): लक्षद्वीप (बानवे प्रतिशत 92%)

जब से भारत ने शिक्षा का अधिकार लागू किया है, तब से भारत की साक्षरता दर बहुत अधिक बढ़ी है। केरल हिमाचल, मिजोरम, तमिल नाडू एवं राजस्थान में हुए विशाल बदलावों ने इन राज्यों की काया पलट कर दी एवं लगभग सभी बच्चों को अब वहाँ शिक्षा प्रदान की जाती है। बिहार में शिक्षा सबसे बड़ी समस्या है जिस से सरकार जूझ रही है। वहाँ गरीबी की दर इतनी अधिक है कि लोग जीवन की मूल-भूत आवश्यकताएं जैसे रोटी कपडा और मकान का भी जुगाड़ नहीं कर पाते, वे किताबों का खर्च नहीं उठा पाते।

आज विश्व साक्षरता दिवस पर “बदलती जिंदगी” पत्रिका का होगा विमोचन

जेल अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान ने बताया कि आज विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में हुए सराहनीय कार्यों की स्मृति के रूप में मेरे द्वारा लिखी गयी “बदलती जिंदगी – बंदियों के साक्षरता की ओर बढ़ते कदम” नामक पत्रिका का विमोचन कारागार मंत्री, उत्तर प्रदेश शासन के कर कमलों से विभागीय अधिकारियों के समक्ष लखनऊ में किया जाना तय हुआ है। उन्होंने बताया कि पत्रिका में जेल के लगभग 100 बंदियों के हस्तलिखित पत्र भी प्रकाशित किया गया है जिसमें उनका शिक्षा के प्रति लगाव व जेल में रहकर क्या सीखा आदि का अनुभव दर्ज है, इसके साथ ही जिला कारागार का इतिहास, चित्र प्रदर्शनी, माननीयों के संदेश, विभागीय अधिकारियों के संदेश, विचार, कक्षाएं एवं प्रतियोगिताओं का विवरण आदि बहुत कुछ दिखाई देगा।

शिक्षा से हुनर की ओर बढ़ते कदम

● शिक्षा सत्र 2021-22 में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एन० आई० ओ० एस०) द्वारा 29 में से 22 बंदी परीक्षार्थियों ने हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की

● 4 सिद्ध दोष बन्दी वर्तमान में उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय से एम० ए० (राजनीति) का द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा दे रहे हैं जबकि पूर्व में प्रथम सेमेस्टर पास कर चुके हैं

● 20 महिला बंदियों को सिलाई का प्रशिक्षण एवं 35 पुरुष बंदियों को बकरी पालन का प्रशिक्षण बड़ौदा स्वरोजगार ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा

● प्रजापिता ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा सत्संग, अध्यात्म, प्रवचन, नैतिक शिक्षा एवं योगाभ्यास का महिलाओं में एक सप्ताह में शिविर के माध्यम से अभ्यास कराया जा रहा

● योग बंधुओं द्वारा पुरुषों में शिविर के माध्यम से योगाभ्यास, ध्यानक्रिया, अध्यात्म आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा

जानिए जेल अधीक्षक – फतेहपुर को

नाम- मोहम्मद अकरम खान
जन्मतिथि- 30 मार्च, 1965
ग्रह जनपद- बरेली
शिक्षा- एम० ए० (राजनीति विज्ञान)
सामाजिक सेवा- राष्ट्रीय सेवा कर्मी (नेहरू युवा कर्मी, बरेली)
रुचि- शिक्षा के प्रति जागरूक करना एवं  दूसरों के लिए कुछ करना

कारागार प्रशासन का सफर

1994 – डिप्टी जेलर, इटावा के पद पर प्रथम नियुक्ति उसके बाद हल्द्वानी, सेंट्रल जेल फतेहगढ़, बदायूं, मुरादाबाद
2010 – जेलर, पीलीभीत उसके बाद बुलंदशहर एवं नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) में बतौर जेलर
2015 – जेल अधीक्षक, फिरोजाबाद एवं वर्तमान में फतेहपुर (12 फ़रवरी, 2021 से) में नियुक्त

इन सेवाओं के लिए मिले सम्मान

2015 – सराहनीय सेवा के लिए महामहिम राष्ट्रपति से सम्मानित

2021- विशिष्ट सेवा के लिए महामहिम राष्ट्रपति से सम्मानित

2019- डीजी जेल द्वारा सिल्वर मेडल

2016- उत्तर प्रदेश साक्षरता पुरूस्कार

2017- लोक सेवा सम्मान

2018- सर सैयद अवार्ड (शिक्षा क्षेत्र)

2019- शिक्षा रत्न सम्मान (एच टी मीडिया समूह द्वारा)

2019- जेल सुधार का अवार्ड (तिनका – तिनका इंडिया द्वारा)

जेल में अधीक्षक के शिक्षा रत्न व सहयोगी

अंजनी कुमार- उप कारापाल (डिप्टी जेलर)
अक्षय प्रताप सिंह- जेल अध्यापक
सीमा चौहान- (शिक्षिका, बेसिक शिक्षा विभाग)
अर्चना सिंह- (शिक्षिका, बेसिक शिक्षा विभाग)
सबीन ज़ाफ़री- आंगनबाड़ी सहायिका

इन 15 बंदी शिक्षकों की है अहम भूमिका

13 – पुरुष बंदी शिक्षक
2 – महिला बंदी शिक्षक

1. वीरेन्द्र सिंह 
2. अमरीश सिंह 
3. गौरव मिश्रा 
4. जय वाजपेयी
5. अनुज कुमार
6. अनिल सिंह
7. प्रमोद कुमार
8. शुभम सिंह
9. अनिल कुमार पटेल
10. चुन्ना उर्फ छोटू सिंह
11. संजय सिंह
12. अशोक कुमार
13. सुशील कुमार कुशवाहा (अहम भूमिका)
14. गुड़िया देवी
15. पुष्पा यादव

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