- विधानसभा चुनाव से पहले हुए सेमीफाइनल में करारी शिकस्त पाई समाजवादी पार्टी
- विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों की असलियत आई सामने
- भाजपा का हौसला हुआ बुलंद तो सपा हुई पस्त, सपा एक पर हुई विजयी
फतेहपुर। ब्लॉक प्रमुखी चुनाव के नतीजों ने समाजवादी पार्टी के सपनों को चकनाचूर कर दिया है तो वहीं भाजपा का हौसला चौगुना बढ़ा है, ऐसे में सवाल ये है कि क्या भाजपा के आगे आगामी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी अपनी स्थिति को सुधार पाएगी एवं सत्तारूढ़ दल भाजपा के आगे चुनाव जीत पाएगी?
पंचायत चुनाव निपटने के बाद पहले हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के आगे समाजवादी पार्टी को महज़ 5 वोट मिलना खुद एक चौंकाने वाले नतीजे रहे हैं क्योंकि सपा का दावा 24 सीट से 35 सीट पर चुने गए जिला पंचायत सदस्यों का समर्थन की बात के अलावा सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के समक्ष 27 जिला पंचायत सदस्यों को जिले के नामचीन नेताओं द्वारा पेश कराकर सपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट कराकर जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने का वायदा भी किया था लेकिन नतीजों ने सारी हक़ीक़त की पोल खोल दी।
बताते चलें कि आगामी 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें समाजवादी पार्टी अपने आपको सत्ता में आसीन होते हुए सपना देखकर भाजपा को करारी शिकस्त देते हुए हराने वाली पार्टी का दावा करती नजर आ रही है लेकिन उस चुनाव से पहले पंचायत चुनाव को सेमीफाइनल का नाम दिया जाने वाले चुनाव में सपा करारी शिकस्त पाई है जिससे समाजवादी पार्टी की जमीनी हकीकत व सपाई नेताओं की पोल आम जनमानस के सामने उजागर हो गयी है। हालांकि पंचायत चुनाव या यूं कहें कि जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव रहा हो या फिर ब्लॉक प्रमुख के चुनावी नतीजों को देखते हुए सपा के नेता कहते नजर आ रहे हैं कि सत्तारूढ़ दल की मशीनरी के आगे हमको शिकस्त खाना पड़ा तो शायद इन अनभिज्ञ नेताओं को ये मालूम नहीं है कि जिले के 13 ब्लॉकों के धाता ब्लॉक में महज एक सपा प्रत्याशी का जितना एवं प्रदेश के कई अन्य जिलों में विभिन्न पदों पर गैर भाजपाई दल के प्रत्याशी भी विजयी हुए हैं और वहां पर भी वही सत्तारूढ़ दल की सरकारी मशीनरी तैनात रही ऐसे में सपाइयों का ये दावा जनता के बीच सरे से ख़ारिज होता दिख रहा है।
आखिरकार इन चुनावी परिणामों के आधार पर ब्लॉक प्रमुखी के प्रत्याशियों के चयन व चुनाव लड़वाने की जिम्मेदारी देने के बाद सपा नेताओं ने अपना काम बखूबी क्यों नहीं निभाया ये आमजनमानस का सवाल एक यक्ष प्रश्न साबित हो रहा है, ऐसे में राजनैतिक सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि जिन – जिन नेताओं को जिम्मेदारी मिली थी क्या उनमें से विधानसभा चुनाव का टिकट मांगने वालों में उनको आगामी विधानसभा चुनाव के टिकट से वंचित किया जाएगा एवं क्या जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं को पदहीन भी किया जाएगा?
जानें किस नेता को मिली थी किस ब्लॉक की जिम्मेदारी
ब्लॉक – नेता का नाम एवं पदनाम
धाता – मतीन अहमद (विस अध्यक्ष, खागा) एवं संगीता राज पासी (विस प्रभारी, खागा)
विजयीपुर – वीर अभिमन्यु सिंह (पूर्व विधायक) एवं दिनेश तिवारी (पूर्व जिलाध्यक्ष – प्रबुद्ध सभा)
ऐरायां – मोहम्मद सफीर (पूर्व विधायक) एवं ऊषा मौर्या (पूर्व विस प्रत्याशी)
हथगाम – केतकी यादव (पूर्व जिलाध्यक्ष – महिला सभा) एवं अरुणेश पाण्डेय (विस प्रभारी, हुसैनगंज)
भिठौरा – हाज़ी रफ़ी अहमद (पूर्व विस प्रत्याशी) एवं चंद्रप्रकाश लोधी (पूर्व विस प्रत्याशी)
हसवा – इन्द्रसेन यादव (पूर्व ब्लॉक प्रमुख – हसवा), नफीशुद्दीन (विस प्रभारी, सदर) एवं नरसिंह यादव (नेता, सपा)
असोथर – रीता प्रजापति (विस प्रभारी, अयाह शाह) एवं दलजीत निषाद (पूर्व विस प्रत्याशी)
बहुआ – देवीगुलाम कुशवाहा (जिला महासचिव) एवं कपिल यादव (जिपंस, सपा)
तेलियानी – सुरिजपाल रावत (विस प्रभारी, बिंदकी), सतीश राज (पूर्व जिपंस, सपा), राजू साहू (जिला सचिव/ पूर्व ब्लॉक प्रमुख) एवं आज़म खान (जिलाध्यक्ष – लोहिया वाहिनी)
मलवां – महेंद्र बहादुर सिंह (पूर्व विस प्रत्याशी), जगदीश सिंह चौहान (अध्यक्ष – बार एसोसिएशन, फतेहपुर एवं वरिष्ठ सपा नेता) एवं अनुरुद्ध यादव (विस अध्यक्ष, बिंदकी)
देवमई – सुरेन्द्र यादव (पूर्व जिलाध्यक्ष, सपा) एवं जंगबहादुर सिंह (पूर्व जिलाध्यक्ष – लोहिया वाहिनी)
खजुहा – रामेश्वर दयाल दयालू गुप्ता (पूर्व विस प्रत्याशी) एवं आबिद हसन (पूर्व विस प्रत्याशी)
अमौली – मदन गोपाल वर्मा (पूर्व विधायक), राजेन्द्र वर्मा (विस अध्यक्ष, जहानाबाद) एवं सुरेश पाल (विस प्रभारी, जहानाबाद)