लखनऊ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि जैसी कि उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा सरकार और उसके मातहत प्रशासन ने आज फिर धींगामुश्ती से जिला पंचायत की चार और सीटों को हथिया लिया… यदि बड़े पैमाने पर जनता सड़कों पर न उतरी होती तो बागपत की सीट को भी हड़प लिया होता… उन्होंने आशंका जतायी है कि तीन जुलाई को होने वाले निर्वाचन और गणना में भी भाजपा बड़ा खेला कर सकती है…
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि योगी सरकार और प्रशासन द्वारा लोकतन्त्र का यह चीरहरण उस समय किया जा रहा था जब लोकतान्त्रिक सत्ता के शीर्ष पुरुष महामहिम राष्ट्रपति उत्तर प्रदेश में ही मौजूद थे और अपने भाषणों में वे बार बार लोकतन्त्र की दुहाई दे रहे थे…
भाकपा ने आरोप लगाया कि बागपत जिला प्रशासन ने नकली प्रत्याशी के आवेदन पर जिला पंचायत की असली प्रत्याशी का नामांकन रद्द कर दिया… यदि बड़े पैमाने पर विपक्ष और जनता सड़कों पर न उतरी होती तो असली प्रत्याशी को वैध करार न दिया जाता… सवाल उठता है कि अमरोहा में प्रशासन ने वैध प्रस्तावक को अवैध करार दे दिया तो बागपत में अवैध प्रत्याशी की वैधता की जांच किए बिना नामांकन कैसे रद्द कर दिया गया… बागपत जिला प्रशासन पूरी तरह कठघरे में है…
भाकपा ने कहा कि भाजपा के दवाब में चार विपक्षी प्रत्याशियों ने नामांकन वापस ले लिये… इस तरह जिस जिला पंचायत सदस्यों के चुनावों में भाजपा नगण्य स्थिति में थी, उसने जिलाध्यक्ष की कुल 20 सीटें बिना लड़े ही हथिया ली… यह लोकतन्त्र की पीठ पर बड़ा आघात है…
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि अपने जनविरोधी और जनतंत्र विरोधी कार्यों से भाजपा पूरी तरह बेनकाव हो गयी है और उसे 2022 के विधान सभा चुनावों में हार का भूत सता रहा है… इसलिए अब वह सत्ता में पुनः वापसी के लिये हर नाजायज हथकंडा अपना रही है… भाजपा की इस तानाशाही का जबाव संयुक्त विपक्ष की लामबंदी और जनता की आंदोलनकारी कार्यवाहियों से ही दिया जा सकता है…
भाकपा ने मांग की कि बागपत के जिलाधिकारी को फौरन दंडित किया जाये, जिन जिलों में भाजपा ने अब तक बिना लड़े ही सीटें हथिया ली हैं उसकी समयबध्द जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा कराई जाये और जांच होने तक उन पदों को सस्पेंड रखा जाये…
भाकपा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों को मिलकर मर्यादाओं को पार कर चुके है… उत्तर प्रदेश के निर्वाचन आयोग के विरूध्द भी आवाज उठानी होगी…
