लखनऊ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डॉक्टर गिरीश ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए जमीन खरीदने में हुए घोटाले के आरोप यदि सही पाये जाते हैं तो ये एक ऐसा अपराध है… जिसके लिए अपेक्षित दंड शायद दंड प्रक्रिया संहिता में भी दर्ज नहीं है… यह आस्थावानों द्वारा आस्था के वशीभूत हो अपनी खून पसीने की कमाई से दिये गये धन के बंदरबांट का मामला है… जिसे आस्था और धार्मिक भावनाओं का दोहन कर सत्ता हथियाने वाला एक समूह कर रहा है… इसलिए मामले की पारदर्शिता के साथ जांच करा के दोषियों को ऐसी सजा दी जानी चाहिए कि दोबारा कोई भी आस्थापूर्वक अर्पित धन का गोलमाल न कर सके…
भाकपा ने कहा कि यह मामला इसलिये और भी पेचीदा हो गया है कि आरोपों का सीधा जबाव देने के बजाय श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव श्री चंपत राय ने ढ़ीढता के साथ कहा कि हम आरोपों की चिन्ता नहीं करते… हम अपना काम कर रहे हैं… पूरे मामले का अध्ययन करने के बाद अपना पक्ष रखेंगे…
ट्रस्ट के 16 करोड़ रुपये के इस घोटाले पर स्पष्ट जबाव देने के बजाय आखिर श्री राय किस चीज के अध्ययन की बात कर रहे हैं…
भाकपा ने उठाया सवाल…
आरोप है कि ट्रस्ट द्वारा 10 मिनट पहले खरीदी गयी दो करोड़ की जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट 18. 5 करोड़ रुपये से करा लिया गया… बैनामा व रजिस्ट्री एक ही दिन हुयी और दोनों में गवाह रहे ट्रस्टी डा. अनिल मिश्रा एवं अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय है…
प्राप्त विवरण के अनुसार अयोध्या में गाटा संख्या 243, 244 व 246 की जमीन की मालियत 5 करोड़ 80 लाख रुपए है… इसका पहले दो करोड़ रुपये में बैनामा किया गया और पांच मिनट बाद ही ट्रस्ट ने इसे 18. 5 करोड़ में खरीद लिया… यानी जमीन की दर 5 लाख रुपये प्रति सेकेण्ड बढ़ गई…
आरोप है कि अयोध्या के बाग विजेश्वर में स्थित 12080 वर्ग मीटर जमीन का बैनामा इसी साल 18 मार्च, 2021 को शाम 07: 05 बजे बाबा हरिदास ने व्यापारी सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी को दो करोड़ रुपये में किया था… इसके 10 मिनट बाद 7: 15 बजे इसी भूमि का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी से श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18. 5 करोड़ रुपये में करा लिया… ट्रस्ट ने 17 करोड़ रुपये सुल्तान व रवि के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर किये हैं..
सवाल उठता है कि जब पहले से ही इस जमीन का रेट ट्रस्टी और महापौर को मालूम था तो ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गयी कि दो करोड़ में बैनामा करायी गयी जमीन को 10 मिनट बाद ही 18. 5 करोड़ रुपये में खरीदना पड़ा…
सवाल यह भी उठता है कि आस्थावानों से एकत्रित इस धन को कैसे मुट्ठीभर लोग बिना दानदाताओं को विश्वास में लिये मनमाने तरीके से इधर उधर कर सकते हैं…
भाकपा ने कहा कि यह आस्था और धर्म की आड़ में बड़े कदाचार/ भ्रष्टाचार का मामला है… भाकपा उत्तर प्रदेश माननीय सर्वोच्च न्यायालय व महामहिम राष्ट्रपति से अनुरोध करती है कि इस संगीन प्रकरण की जांच न्यूनतम समयावधि के भीतर किसी सक्षम और विश्वसनीय निकाय से करायी जानी चाहिए…